Thursday, June 11, 2020

बिता बचपन

बड़ी मासूम सी थी जिंदगी
सबकुछ नया नया सा था।
वक्त वक्त की बात हैं,
बड़ा हसीन बचपन था।

गिरते संभलते रहते हर दिन
मस्तीसे भरा आंगन था।
गलतियां और शरारतसे भरा,
बड़ा हसीन बचपन था।

गलियारों से भटकते हुए
मजेमें दिन गुजर जाता।
माँ बाप की प्यारी डांट मेभी,
बड़ा हसीन बचपन था।

झगड़े आपस में सुलझा लेते
यारी में प्यार बहोत था।
जीना फिरसे हैं वो जिंदगी,
बड़ा हसीन बचपन था ।...Vj


:- स्व,
11 जून, 2020,
कोल्हापूर

काही तरी बोल ना

 काही तरी बोल ना दिवसेंदिवस तुझा हा दुरावा कधी येऊन संपावशील? प्रेमाचे चार शब्द एकवूनी पुन्हा मला आपलंसं करशील तयारच आहेत कान माझे मन ही आतु...