बड़ी मासूम सी थी जिंदगी
सबकुछ नया नया सा था।
वक्त वक्त की बात हैं,
बड़ा हसीन बचपन था।
गिरते संभलते रहते हर दिन
मस्तीसे भरा आंगन था।
गलतियां और शरारतसे भरा,
बड़ा हसीन बचपन था।
गलियारों से भटकते हुए
मजेमें दिन गुजर जाता।
माँ बाप की प्यारी डांट मेभी,
बड़ा हसीन बचपन था।
झगड़े आपस में सुलझा लेते
यारी में प्यार बहोत था।
जीना फिरसे हैं वो जिंदगी,
बड़ा हसीन बचपन था ।...Vj
:- स्व,
11 जून, 2020,
कोल्हापूर